Wednesday, March 7, 2012

बह गए जो रंग...



आज इन रंगों को देख, न जाने हम क्यूँ फिर कुछ मायूस से हो गए...
बीते लम्हों कि यादों में फिर एक बार गुम हो गए...
सोचते है वक़त ने हमसे क्यूँ ऐसा मज़ाक किया...
हमारे जीवन में आते हुए रंगों को, क्यूँ समय से पहले बहा ले गया...

बदला जो वक़्त, हमने भी राह बदल दी...
भूल उस बुरे सपने को हमने फिर एक नई पहल कि...
पर आज इन रंगों ने सूने दामन को जो छुआ
बह गए जो रंग पहले, उनका फिर एहसास हुआ...

No comments:

Post a Comment